अमृतसर। लाहौर के शमशाद हैदर, इन दिनों पाकिस्तानी सेना को योग सिखा रहे हैं। सेना ही नहीं, क्लबों, अस्पतालों और ओपन कैम्पों के जरिए हजारों आम लाेगों को भी 11 साल से योग की ट्रेनिंग दे रहा है। पत्नी शुमाइला और करीब 68 शागिर्द भी इसमें मदद कर रहे हैं। इसीलिए पाकिस्तान में शमशाद अब ‘योगी’ कहे जाने लगे हैं। दरवेशों (संन्यासियों) के खानदान का योगी। शमशाद बताते हैं, ‘मैं खालिस हिंदुस्तानी तरीकों से योग सिखाता हूं। हमारी हर सुबह की शुरुआत ओंकार से होती है।
शमशाद ही बताते हैं कि उनके खानदान में कई दरवेश हुए हैं। फिर आप योगी कैसे हो गए? इस पर वे सिलसिलेवार पूरा वाकया कहते हैं, ‘पहले मैं बात-बात पर भड़क जाता था। हर वक्त अजब सी छटपटाहट रहती थी। शायद कोई अधूरी तलाश बेचैन कर रही थी। बस, उसी को मुकम्मल करने के लिए हिंदुस्तान आ गया।
यह 15-16 साल पहले की बात है। कुछ वक्त हरिद्वार में बिताया। फिर घूमते हुए महाराष्ट्र के इगतपुरी पहुंच गया। सुन रखा था कि यहां सत्यनारायण गोयनका विपश्यना मेडिटेशन सिखाते हैं। मैंने भी उनकी क्लासेस में जाना शुरू कर दिया। तब ही लग गया था कि मैं जिस तलाश में हूं, वह पूरी होने वाली है। तीन साल की ट्रेनिंग के बाद जब लाहौर लौटा तो दिल में चैन और सुकून ने डेरा जमा लिया था। अब बारी अपने इल्म को लोगों तक पहुंचाने की थी। हमारे खानदान में हुए दरवेशों ने भी तो यही किया था। पहले इल्म हासिल करना। फिर उसकी रोशनी हर तरफ फैलाना। मैंने भी 2004 से शुरुआत कर दी। पहले-पहल लोगों ने एतराज जताया। कई तो खिलाफ ही हो गए। लेकिन जब उन लोगों ने देखा कि योग से तो बीमारियों में भी राहत मिल रही है तो सब चुप होने लगे। फिर तो कारवां बनता गया।
आेंकार से सुबह की शुरुआत
शमशाद बताते हैं, ‘मैं खालिस हिंदुस्तानी तरीकों से योग सिखाता हूं। हमारी हर सुबह की शुरुआत ओंकार से होती है। फिर सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और योगासनाें का सिलसिला चलता है। इन तौर-तरीकों से गुजरने के बाद लोग अपने भीतर आए पॉजिटिव बदलावों को करीब से महसूस कर पाते हैं।’ शुमाइला बदलाव के इस अहसास को अपने तजुर्बे से पुख्ता भी करती हैं। बताती हैं, ‘पहले ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की तमन्ना हावी रहती थी। लेकिन जिंदगी में योग के दाखिल होते ही लालच जाता रहा। अब सुकून है।
source: http://www.bhaskar.com/news/PUN-AMR-OMC-shamshad-teach-yoga-in-pakistan-4996012-PHO.html
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