Bicycle Running 3 Hours From One Rupee Cost Of Electricity

आईटी कॉलेज में इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के 6 छात्रों ने बैटरी से चलने वाली एक ऐसी साइकिल बनाई है, जिसे एक बार चार्ज करने के बाद तीन घंटे तक चलाया जा सकता है। घर पर साधारण बिजली से रिचार्ज हो जाने वाली इस वीकल को इंजीनियरिंग छात्रों ने ई-साइकिल का नाम दिया है।




इसे यहां पढ़ रहे ट्रिपल-ई ब्रांच के अंतिम वर्ष के छात्रों ने डिजाइन किया है। साइकिल के इस्तेमाल पर प्रति किलोमीटर 5 पैसे की बिजली खपत होती है।



इसी के तहत आईटी कॉलेज में इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग (ईईई) ब्रांच में अध्ययनरत बीई अंतिम वर्ष व अंतिम सेमेस्टर के छात्रों ने ई-साइकिल तैयार की है। उन्हें यह साइकिल बनाने में तीन माह का वक्त लगा है तथा साइकिल सहित लगभग 6 से 7 हजार की लागत खर्च हुई है।

छात्रों ने बताया कि यह साइकिल अधिकतम 15 दिनों में तैयार की जा सकती है, लेकिन प्रोजेक्ट वर्क होने के कारण ई-साइकिल प्रेजेंटेशन के दौरान सही तरीके से कार्य करे, इसका लगातार परीक्षण किया जाता रहा। इसमें तीन माह का वक्त लगा।

ऐसे तैयार हुई बैटरी
ई-साइकिल के प्रोजेक्ट में बिजली सेविंग के साथ अधिक से अधिक इस्तेमाल को बेहतर बनाने बैटरी पर अलग से प्रोजेक्ट तय करते हुए 5 छात्राओं के एक अलग ग्रुप ने जिम्मेदारी ली थी। ईईई ब्रांच में ही अध्ययनरत छात्राओं के इस ग्रुप में मानसी जायसवाल, किरण खर्सन, तनु पांडेय, पूजा सिंह व दिव्या महंत शामिल हैं। 

ये है खासियत
  • प्रदूषण रहित व बैटरी चलित ई-साइकिल ।
  • अधिकतम 35 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है ।
  • इसमें पंखा चलाने इस्तेमाल किया गया ब्लॉक मोटर लगाया गया है ।
  • प्रति किलोमीटर 5 पैसे का बिजली खर्च होता है ।
  • एक बार फुल चार्ज बैटरी से 30 किलोमीटर दौड़ लगाई जा सकती है ।
  • इसे तीन मोड मैनुअल, पैडल व पावर ऑन डिमांड मोड पर चलाया जा सकता है ।
  • 12 वोल्ट की तीन बैटरी से 436 वाट की डीसी पावर प्राप्त होती है ।
  • गति का नियंत्रण इलेक्ट्रिक ट्रोटल से किया जाता है ।
  • ई-साइकिल में चाबी से इलेक्ट्रिक लॉक सिस्टम, हॉर्न, हेडलाइट, एक्सिलरेटर की सुविधा ।
  • बिना चाबी से ऑन किए साइकिल किसी भी मोड में नहीं चलाई जा सकती ।
इंजीनियरिंग के तकनीकी सिद्धांतों को केवल कागजों में जानने के साथ व्यवहार में लाने प्रायोगिक ज्ञान को समझना आवश्यक है। तभी इंजीनियरिंग में नए आविष्कार व छात्रों में रचनात्मक क्षमता का विकास होगा। इसी उद्देश्य के तहत बीई अंतिम वर्ष में 100 अंकों का प्रोजेक्ट वर्क होता है। ईईई के छात्रों ने ई-साइकिल बनाई है, जो एक अच्छा कांसेप्ट है। बिजली की बचत, सामान्य वाहनों की अपेक्षा प्रदूषण रहित, कम बिजली से ज्यादा सफर व किफायती तकनीक है। कम खर्च व कम वक्त में तैयार कर इसे व्यवहार में लाया जा सकता है। मैं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। - प्रणय राही, रजिस्ट्रार, आईटी कॉलेज कोरबा


source : http://naidunia.jagran.com/special-story-one-rupee-electric-bicycle-runs-3-hours-372282
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