"Masoom" Journey from Blogger to CEO of a Company
source : http://www.bhaskar.com/news/EDUC-LAK-from-blogger-to-ceo-masoom-minawala-has-come-a-long-way-4988161-PHO.html
Founder : मासूम मीनावाला
Product : फैशन ज्वैलरी और एसेसरीज उपलब्ध करवाने वाला ऑनलाइन पोर्टल
Site : stylefiesta.com
22 वर्षीय मासूम मीनावाला स्टाइल फीएस्टा की सीईओ हैं। बहुत कम उम्र में फैशन ब्लॉगर से एक कामयाब फैशन पोर्टल की सीईओ का सफर तय करने वाली मासूम स्कूल के दिनों में स्टाइल और फैशन को लेकर बिलकुल अनजान थीं। स्कूल के दिनों में मैं अपने स्कूल की फुटबॉल टीम की कैप्टन थी और स्कूल से हमेशा गंदे कपड़ों में घर लौटती थी। मुझे इस बात की परवाह नहीं थी कि मैं कैसी दिखती हूं या मैंने कैसे कपड़े पहन रखे हैं।’
लेकिन 12वीं क्लास में आने के बाद मासूम की दिलचस्पी फैशन में बढ़ने लगी। अपने नए शौक से प्रेरित होकर उन्होंने पेशे से फैशन डिजाइनर अपनी कजिन के साथ इंटर्नशिप की लेकिन इसका अनुभव मासूम की उम्मीदों से उलट था। वह फैशन डिजाइनिंग में अपनी रुचि नहीं जगा सकी।
फैशन व्यवसाय को समझने के लिए किया इंटर्नशिप
17 साल की मासूम के दिमाग में अब सवाल उठ रहा था कि अब क्या किया जाए? तभी मासूम ने फैशन के व्यापारिक पहलू को समझने के मकसद से ब्रांड मार्केटिंग इंडिया के साथ मार्केटिंग में इंटर्नशिप का फैसला लिया। इस इंटर्नशिप के दौरान उन्हें फैशन ब्लॉगर्स विषय पर रिसर्च प्रोजेक्ट करने को मिला। मासूम के अनुसार ‘फैशन ब्लॉगिंग के कॉन्सेप्ट से मैं पहली बार रू-ब-रू हुई थी और यह प्रोजेक्ट मुझे काफी पसंद आया। मैं इससे इतनी प्रभावित हो गई कि मैंने स्टाइल फीएस्टा डायरीज नाम से अपना ब्लॉग शुरू कर दिया।’
17 साल की मासूम के दिमाग में अब सवाल उठ रहा था कि अब क्या किया जाए? तभी मासूम ने फैशन के व्यापारिक पहलू को समझने के मकसद से ब्रांड मार्केटिंग इंडिया के साथ मार्केटिंग में इंटर्नशिप का फैसला लिया। इस इंटर्नशिप के दौरान उन्हें फैशन ब्लॉगर्स विषय पर रिसर्च प्रोजेक्ट करने को मिला। मासूम के अनुसार ‘फैशन ब्लॉगिंग के कॉन्सेप्ट से मैं पहली बार रू-ब-रू हुई थी और यह प्रोजेक्ट मुझे काफी पसंद आया। मैं इससे इतनी प्रभावित हो गई कि मैंने स्टाइल फीएस्टा डायरीज नाम से अपना ब्लॉग शुरू कर दिया।’
ब्लॉग रीडर्स का बढ़िया रहा फीडबैक
अब मासूम ने अपने मौजूदा वार्डरोब को सजाना और उसकी तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट करना शुरू कर दिया। हॉबी के तौर पर शुरू हुए इस ब्लॉग को कुछ ही वक्त में रीडर्स के हजारों हिट्स, बड़ी संख्या में कमेंट्स और आश्यर्चजनक फीडबैक मिलने लगा। अपने इस अनुभव के बारे में बताते हुए मासूम कहती हैं, ‘मुझे अंदाजा नहीं था कि लोग मेरे काम और स्टाइल को इतना पसंद करेंगे। मैं बहुत उत्साहित थी। इसी के चलते मैं कई महीनों तक ब्लॉगिंग करती रही और रीडर्स को जोड़ती रही।’
अब मासूम ने अपने मौजूदा वार्डरोब को सजाना और उसकी तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट करना शुरू कर दिया। हॉबी के तौर पर शुरू हुए इस ब्लॉग को कुछ ही वक्त में रीडर्स के हजारों हिट्स, बड़ी संख्या में कमेंट्स और आश्यर्चजनक फीडबैक मिलने लगा। अपने इस अनुभव के बारे में बताते हुए मासूम कहती हैं, ‘मुझे अंदाजा नहीं था कि लोग मेरे काम और स्टाइल को इतना पसंद करेंगे। मैं बहुत उत्साहित थी। इसी के चलते मैं कई महीनों तक ब्लॉगिंग करती रही और रीडर्स को जोड़ती रही।’
दिसंबर 2012 में उन्होंने अपने पिता की आर्थिक मदद के साथ अपना फैशन पोर्टल स्टाइल फ़ीएस्टा लॉन्च किया। अपने ब्लॉग के जरिए मासूम ने अपनी वेबसाइट का प्रचार शुरू किया और अपने रीडर्स को ही अपना कस्टमर बनाया। कारोबार के पहले चार महीनों में ही उन्होंने शुरुआती निवेश रिकवर कर लिया और उसके बाद से कंपनी मुनाफे को बिजनेस विस्तार के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। दो साल बाद वर्ष 2014 में फीएस्टा का रेवेन्यू करीब 1.5 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर चुका था। मासूम अपनी युवाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं।
पढ़ाई और ट्रेनिंग को दी अहमियत
करीब डेढ़ साल तक ब्लॉगिंग करने के बाद मासूम को महसूस हुआ कि देश में फैशन कुछ बड़े शहर के लोगों की पहुंच में ही है। छोटे शहरों में इस दूरी की वजह यह थी कि वहां अंतरराष्ट्रीय रिटेल चैन मौजूद नहीं हैं। दूसरी ओर इंटरनेशनल फैशन वेबसाइट्स भी हिंदुस्तानी बाजार में अपने प्रोडक्ट्स उपलब्ध नहीं करवाती थीं और जो उपलब्ध थे वे काफी महंगे थे। इसी समस्या का हल खोजते हुए मासूम ने सोचा कि उनकी पोस्ट को देखने और पसंद करने वालों को क्यों इन्हें खरीदने का विकल्प दिया जाए।
करीब डेढ़ साल तक ब्लॉगिंग करने के बाद मासूम को महसूस हुआ कि देश में फैशन कुछ बड़े शहर के लोगों की पहुंच में ही है। छोटे शहरों में इस दूरी की वजह यह थी कि वहां अंतरराष्ट्रीय रिटेल चैन मौजूद नहीं हैं। दूसरी ओर इंटरनेशनल फैशन वेबसाइट्स भी हिंदुस्तानी बाजार में अपने प्रोडक्ट्स उपलब्ध नहीं करवाती थीं और जो उपलब्ध थे वे काफी महंगे थे। इसी समस्या का हल खोजते हुए मासूम ने सोचा कि उनकी पोस्ट को देखने और पसंद करने वालों को क्यों इन्हें खरीदने का विकल्प दिया जाए।
इसी आइडिया को बिजनेस का रूप देने के लिए मासूम ने अपना फैशन पोर्टल लॉन्च करने का फैसला लिया। इस मौके पर उनके पिता ने उसे फैशन में औपचारिक शिक्षा लेने की सलाह दी। इस सलाह को मानकर मासूम ने छह डिप्लोमा कोर्सेज किए। मासूम के अनुसार मेरे पिता चाहते थे कि मैं अपना कारोबार शुरू करने से पहले इस क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत बनाऊं। उनकी इच्छा को ध्यान में रखते हुए मैंने लंदन कॉलेज ऑफ फैशन और सेंट्रल सेंट मार्टिन से चार महीनों में फैशन स्टाइलिंग, बिजनेस ऑफ फैशन, बाइंग, मर्चेंडाइजिंग, हाऊ टू बिल्ड फैशन बिजनेस और डिजिटल फैशन में डिप्लोमा कोर्स किए।’
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