20 मई को 1965 को ऐतिहासिक घटना घटी थी। दरअसल, पहली बार एक भारतीय अभियान दल के दो सदस्य 8848 मीटर ऊंची माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने में सफल हुए थे। इस कामयाबी ने भारत को एक बार फिर से खुद पर गर्व करने का मौका दिया था। जब ऑल इंडिया रेडियो ने इस खबर का प्रसारण किया तो लोग खुशी से उछल पड़े और सड़क पर निकल कर नाचने लगे। प्रधानमंत्री, कैबिनेट के सदस्यों और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने खबर सुनने के बाद एक-दूसरे को बधाइयां दीं।
इस घटना के कुछ ही दिनों बाद यानी 29 मई को एवरेस्ट की चोटी पर एक साथ 9 भारतीयों की मौजूदगी से जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बना, उसे अगले 17 वर्षों तक कोई नहीं तोड़ पाया। इससे पहले एवरेस्ट पर पहुंचने की भारत की 2 कोशिशें नाकाम हो चुकी थीं। गौरतलब है कि वर्ष 2015 को 1965 में माउंट एवरेस्ट पर जाने वाले पहले भारतीय अभियान दल की स्वर्ण जयंती के रूप में मनाया जा रहा है।
1965 में एवरेस्ट पर पहुंचने वाले भारतीयों के उस पहले दल का नेतृत्व नौसेना के तत्कालीन लेफ्टिनेंट कमांडर मनमोहन सिंह कोहली ने किया था। वह कहते हैं- 8848 मीटर की वह चढ़ाई एक तीर्थयात्रा जैसी है, 1962 की हार से देश के स्वाभिमान को चोट पहुंची थी, लेकिन इस कामयाबी ने मरहम का काम किया और देश का खोया गौरव लौट आया।
कोहली आगे बताते हैं- भारत के लिए यह दिन गर्व का पल है। मेरे दल ने 4 ग्रुप में माउंट एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने का फैसला किया था। 20 मई को पहले कैप्टन अवतार सिंह चीमा और नवांग गोम्बु चोटी पर पहुंचे, उनके बाद 22 मई को सोनाम ग्यास्तो और सोनाम वांग्याल वहां पहुंचे, फिर सी.पी. वोहरा और आंग कामी 24 मई को और अंत में तीन लोग मेजर हरि पाल सिंह अहलूवालिया, हरीश रावत व फू दोरजी 29 मई को एक साथ पहुंचे। एवरेस्ट पर अभियान में पहली बार 9 लोग शामिल हुए थे। लिहाजा जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बना, उसे 17 सालों तक कोई नहीं तोड़ सका। एवरेस्ट पर चढ़ाई में सफलता हासिल करने वाली यह पहली भारतीय टीम थी।
टीम के सदस्यों को मिले अर्जुन और पद्म अवॉर्ड
कोहली के मुताबिक इस कामयाबी से पहले 1961 और 1963 में भी एवरेस्ट पर सेना ने चढ़ाई की कोशिश की थी, जो असफल रही थी, लेकिन मई 1965 में सेना के इस अभियान की सफलता से देश में खेलों को बढ़ावा मिला। प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने प्रोटोकॉल तोड़कर पालम एयरपोर्ट पर अभियान दल के सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने दल के 19 सदस्यों को अर्जुन अवॉर्ड जबकि 11 सदस्यों को पद्म भूषण और पद्मश्री प्रदान करने की घोषणा की। लगभग सभी मुख्यमंत्रियों ने भी टीम के स्वागत के लिए समारोह का आयोजन किया। इंदिरा गांधी ने टीम की सफलता को आजादी के बाद मिली 6 उपलब्धियों में से एक बताया। बकौल कोहली, कुछ महीनों बाद कोलकाता के रबिन्द्र सरोबर स्टेडियम में मुख्यमंत्री पी.सी. सेन ने इस उपलब्धि के लिए मेरा सम्मान किया। मुझे याद है, जब मैं स्टेडियम पहुंचा तो वहां एक किमी. लंबी लाइन लगी थी, लोग हाथों में माला लिए हमारा स्वागत करने का इंतजार कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने टीम के सभी सदस्यों के लिए एक बड़ी पार्टी भी दी। कोहली बताते हैं- दूसरा अभिनंदन समारोह टाउन हॉल में मेयर ने आयोजित किया, जहां हजारों लोग मौजूद थे, तभी मुझे पता चला कि वेस्ट बंगाल खेल को बहुत अहमियत देता है।
फिल्म बनी, कार्टून भी प्रकाशित हुए
भारत के इस अभियान की कामयाबी से नेपाल भी बहुत खुश हुआ था।बानेपा से लेकर काठमांडू तक छात्रों और गांव वालों ने समारोह आयोजित किए थे। इंडियन रेलवे ने टीम के सभी सदस्यों को फर्स्ट क्लास के पास फ्री में दिए थे। एवरेस्ट की इस सफल चढ़ाई पर पहली बार कार्टून भी छापे गए। अभियान दल की स्टोरी पर Illustrated Weekly of India में खुशवंत सिंह की बेटी माला सिंह के कार्टून प्रकाशित हुए। इस उपलब्धि पर 90 मिनट की एक फिल्म भी बनी, जिसमें शंकर-जयकिशन ने संगीत
दिया और इसमें कमेंट्री Zul Vellani ने की थी। इस फिल्म को इंदिरा गांधी 1968 में ऑस्ट्रेलिया के आधिकारिक दौरे में अपने साथ लेकर गई थीं।
इस अभियान में 5 चीजें पहली बार हुईं
> माउंट एवरेस्ट पर सफल चढ़ाई करने वाली यह पहली भारतीय टीम थी।
> पहली बार तीन लोग एक साथ एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफल हुए।
> एवरेस्ट के लिए अभियान में पहली बार 9 लोग शामिल हुए, जो एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था, 17 वर्षों तक यह रिकॉर्ड बरकरार रहा।
> नवांग गोम्बु 2 बार एवरेस्ट पर सफल चढ़ाई करने वाले पहले व्यक्ति बने।
> पहली बार सबसे ज्यादा उम्र (सोनाम ग्यास्तो-42) और सबसे कम उम्र (सोनाम वांग्याल-23) के 2 लोग एक साथ एवरेस्ट पर पहुंचे।
source : http://www.bhaskar.com/news-fli/NAT-NAN-50-years-ago-india-had-broken-the-arrogance-of-mount-everest-4997970-PHO.html
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